आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "aaya basant sakhi ebooks"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "aaya basant sakhi ebooks"
ग़ज़ल
कमर बाँधे हुए चलने को याँ सब यार बैठे हैं
बहुत आगे गए बाक़ी जो हैं तय्यार बैठे हैं
इंशा अल्लाह ख़ान इंशा
पुस्तकें के संबंधित परिणाम "aaya basant sakhi ebooks"
अन्य परिणाम "aaya basant sakhi ebooks"
ग़ज़ल
ग़म-ए-दुनिया से गर पाई भी फ़ुर्सत सर उठाने की
फ़लक का देखना तक़रीब तेरे याद आने की
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
तबीअ'त बुझ गई जब से तिरे दीदार को तरसे
अगर अब नींद भी आती है उठ जाते हैं बिस्तर से
सफ़ी औरंगाबादी
ग़ज़ल
ख़ून बहाना उस का शेवा है तो सही 'मंज़ूर' मगर
हाथ पे उस के रंग-ए-हिना हो ऐसा भी हो सकता है